ची-ची करती चिड़िया आई
वसंत आया शरद की हुई विदाई
मोटे गरम कपड़े भीतर रख दो
अलाव को अब ठंडा कर दो
रंग-बिरंगे वस्त्र पहन लो
प्रकृति के रंगों से होली खेलो
सरस्वती देवी का वंदन कर लो
ज्ञान प्रकाश जीवन में भर लो
पौधों में कलियाँ खिली-खिली हैं
सुगंध उपवन में बिखरी-बिखरी है
भौरे मंडराते कमल-दल पर
तितलियाँ उड़ती जाती हैं फूलों पर
वसंत में बह रही है पुरवाई
जन मन को यह है सुखदाई
चिड़ियों का संदेशा सुन लो
वसंत जैसा सुन्दर जीवन कर लो |
(C) अनमोल दुबे
वसंत आया शरद की हुई विदाई
मोटे गरम कपड़े भीतर रख दो
अलाव को अब ठंडा कर दो
रंग-बिरंगे वस्त्र पहन लो
प्रकृति के रंगों से होली खेलो
सरस्वती देवी का वंदन कर लो
ज्ञान प्रकाश जीवन में भर लो
पौधों में कलियाँ खिली-खिली हैं
सुगंध उपवन में बिखरी-बिखरी है
भौरे मंडराते कमल-दल पर
तितलियाँ उड़ती जाती हैं फूलों पर
वसंत में बह रही है पुरवाई
जन मन को यह है सुखदाई
चिड़ियों का संदेशा सुन लो
वसंत जैसा सुन्दर जीवन कर लो |
(C) अनमोल दुबे