रविवार, 14 अप्रैल 2013

वसंत

ची-ची करती चिड़िया आई
वसंत आया शरद की हुई विदाई

मोटे गरम कपड़े भीतर रख दो
अलाव को अब ठंडा कर दो

रंग-बिरंगे वस्त्र पहन लो
प्रकृति के रंगों से होली खेलो

सरस्वती देवी का वंदन कर लो
ज्ञान प्रकाश जीवन में भर लो

पौधों में कलियाँ खिली-खिली हैं
सुगंध उपवन में बिखरी-बिखरी है

भौरे मंडराते कमल-दल पर
तितलियाँ उड़ती जाती हैं फूलों पर

वसंत  में बह रही है पुरवाई
जन मन को यह है सुखदाई

चिड़ियों का संदेशा सुन लो
वसंत जैसा सुन्दर जीवन कर लो |

(C) अनमोल दुबे
 

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